8 वर्ष पूर्व 16 फरवरी 2015 को चंडीगढ़ में लागू हुआ था फैमिली कोर्ट कानून — हेमंत कुमार
अंबाला — आठ वर्ष पूर्व 16 फरवरी 2015 को यू.टी. चंडीगढ़ में फैमिली कोर्ट्स एक्ट, 1984 अर्थात कुटुंब न्यायालय अधिनियम, 1984 लागू किया गया था हालांकि ऐसा पढ़ने और सुनने में भले ही आश्चर्यजनक प्रतीत हो परन्तु सत्य यही है कि आज तक चंडीगढ़ में एक भी फैमिली कोर्ट की आधिकारिक तौर पर स्थापना नहीं की गयी है.
शहर के सेक्टर 7 निवासी पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि आठ वर्ष पूर्व केंद्र सरकार के विधि एवं न्याय मंत्रालय के अधीन न्याय विभाग ने फैमिली कोर्ट्स एक्ट, 1984 की धारा 1 (3) में एक गजट नोटिफिकेशन जारी कर 16 फरवरी 2015 की तारीख से संघ राज्य क्षेत्र चंडीगढ़ में फैमिली कोर्ट कानून लागू किया था. अब गत आठ वर्षो में चंडीगढ़ में एक भी फैमिली कोर्ट क्यों नहीं स्थापित की गई है और इसके पीछे वास्तविक कारण क्या है, वह यूटी चंडीगढ़ प्रशासन के गृह एवं न्यायिक विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ही बता सकते हैं.
बहरहाल, इस मामले में हेमंत ने गत वर्ष नवंबर, 2022 में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में एक आर.टी.आई याचिका दायर कर इस विषय पर अर्थात चंडीगढ़ में फैमिली कोर्ट की स्थापना न किये जाने पर पूर्ण सूचना मांगी थी जिसके जवाब में हाईकोर्ट के जन सूचना अधिकारी द्वारा यह जानकारी दी गई कि अक्टूबर, 2017 और दिसंबर,2021 के दौरान हाईकोर्ट द्वारा इस सम्बन्ध में एक दर्जन से ऊपर पत्र भेजकर यूटी चंडीगढ़ के गृह सचिव से आग्रह किया गया था कि वह चंडीगढ़ में फैमिली कोर्ट स्थापित करने बारे आवश्यक नोटिफिकेशन जारी करें और साथ साथ डिस्ट्रिक्ट एवं सेशंस जज के रैंक में एक जूडिशल अफसर (जज) और उसके सहायक स्टाफ एवं उनके वेतन-मान हेतु स्वीकृति प्रदान करें हालांकि आज तक यह मामला यूटी चंडीगढ़ प्रशासन के पास लंबित है.
हेमंत ने बताया कि बेशक कोई राज्य हो या यूटी (संघ राज्य क्षेत्र), उसके क्षेत्राधिकार में फैमिली कोर्ट की स्थापना नोटिफिकेशन सम्बंधित राज्य सरकार या यूटी प्रशासन द्वारा फैमिली कोर्ट्स एक्ट, 1984 की धारा 3 में सम्बंधित हाई कोर्ट से परामर्श करने के बाद जारी की जाती है. उक्त 1984 के कानून की धारा 21 में सम्बंधित हाईकोर्ट द्वारा एवं धारा 23 में सम्बंधित राज्य सरकार या यूटी प्रशासन द्वारा फैमिली कोर्ट हेतु आवश्यक नियम बनाकर नोटिफाई किये जाते हैं. बहरहाल फैमिली कोर्ट की विधिवत स्थापना होने के बाद उनमें सम्बंधित न्यायिक अधिकारी जो डिस्ट्रिक्ट एवं सेशंस जज (डीजे) या अतिरिक्त डिस्ट्रिक्ट एवं सेशंस जज (एडीजे) रैंक का होता है एवं जिसे फॅमिली कोर्ट में तैनात दौरान प्रिंसिपल जज या एडिशनल प्रिंसिपल जज कहा जाता है की तैनाती हालांकि हाई कोर्ट द्वारा की जाती है. वर्तमान में हरियाणा में दो दर्जन से अधिक जबकि पंजाब में करीब तीन दर्जन फॅमिली कोर्ट्स स्थापित हैं. दोनों प्रदेशों के कई ज़िलों में दो से तीन फैमिली कोर्टस भी स्थापित हैं.
इसी बीच हेमंत ने बताया कि उन्होंने चंडीगढ़ में फैमिली कोर्ट की स्थापना हेतु बनवारी लाल पुरोहित, जो पंजाब के राज्यपाल होने के साथ साथ यूटी चंडीगढ़ के एडमिनिस्ट्रेटर (प्रशासक) भी हैं, उनके एडवाइजर (सलाहकार) धर्म पाल, आईएएस, यूटी चंडीगढ़ के गृह सचिव नितिन कुमार यादव एवं चंडीगढ़ प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को और हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल एवं केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू और उनके मंत्रालय के पदाधिकारियों को भी इस विषय में लिखा है. इसी माह 2 फरवरी को चंडीगढ़ के गृह सचिव कार्यालय से हेमंत को एक पत्र भेजकर सूचित किया गया है कि चंडीगढ़ में फैमिली कोर्ट स्थापित करने के विषय पर सक्रिय विचार-विमर्श चल रहा है.