एम डी एस डी कॉलेज अंबाला शहर की साहित्यिक परिषद एवं हिंदी विभाग द्वारा अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन सोमवार को किया गया. जिसकी अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. किरन आंगरा ने की। देश विदेश के शोधकर्ताओं ने हिन्दी विषय पर मंथन किया. संगोष्ठी का मुख्य विषय ‘विश्व पटल पर हिंदी भाषा विषय ‘ रहा। अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रो. अलका धनपत महात्मा गांधी संस्थान मॉरीशस ,विशेष उद्बोधन के लिए प्रोफेसर इंदिरा गाजिएवा रशियन स्टेट यूनिवर्सिटी फॉर ह्यूमनिटिज मास्को रूस ,विशेष वक्ता डॉ राकेश कुमार यूनिवर्सिटी ऑफ हेल, हेल सऊदी अरब और दूसरे विशिष्ट वक्ता प्रोफ़ेसर मन्जु रेढू वरिष्ठ साहित्यकार एवं स्वतंत्र लेखिका जींद हरियाणा रहे। संगोष्ठी को संबोधित करते हुये डॉ. किरन आंगर ने कहा कि हिंदी भाषा विश्व में सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखती है। हिंदी बहुआयामी भाषा है। हिंदी अब साहित्य की भाषा न होकर रोजगार ,व्यापार वाणिज्य की भाषा बन गई है । हिंदी भाषा ने अध्ययन -अध्यापन को एक नई दिशा प्रदान की है। आज हिंदी भाषा साहित्य के अतिरिक्त विज्ञान ,बैंक ,व्यापार, सिनेमा ,जनसंचार आदि विभिन्न क्षेत्रों में पदार्पण करके क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय संदर्भ से ऊपर उठकर विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाती जा रही है ।
मुख्य वक्ता प्रो. अल्का धनपत एवं प्रो. इंदिरा ने अपने अपने देश मे हिन्दी के शिक्षण, पठन पाठन के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हिंदी की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह भारतीय संस्कृति ‘सत्यम शिवम सुंदरम ‘ का पर्याय सिद्ध हो चुका है । ऐसे ही इस पवित्र संस्कृति के आदान हेतु विश्व के लोगों को हिंदी भाषा जानने की आकांक्षा होती है। हिंदी भाषा अपनी अद्वितीय एवं अतुलनीय जानकारी से विश्व को आकर्षित कर रही हैं । विश्व में 144 विश्वविद्यालयों में हिंदी शिक्षण की व्यवस्था है। विश्व में हिंदी बोलने वालों की संख्या भी 100 करोड़ से अधिक है। आज विश्व के अनेक देशों में यथा अमेरिका ,कनाडा ,रूस, ब्रिटेन ,जर्मनी ,फ्रांस, पोलैंड ,स्वीडन ,डेनमार्क ,इटली,जापान ,ऑस्ट्रेलिया ,अफ्रीका ,चीन, रोमानिया आदि में हिंदी के पठन-पाठन का कार्य चल रहा है ।
डॉ. मंजू रेढू ने कहा कि विश्व में हिंदी की पत्र पत्रिकाओं के प्रकाशन एवं प्रचार से भी हिंदी ने अपना समुचित स्थान बनाया हुआ है । यही हिंदी की लोकप्रियता एवं विश्व प्रियता का प्रमाण है। आगामी समय में विश्व में हिंदी अपना एक महत्वपूर्ण एवं उपादेय स्थान बना लेगी ,ऐसा पूर्ण विश्वास है ।
डॉ. राकेश कुमार ने अपने अनुभव साँझा किया और बतया की किस प्रकार से हिंदी का प्रचार और प्रचार किया जा सकता है। संगोष्ठी का मंच संचालन संगोष्ठी की संयोजक डॉ. मंजु तोमर ने किया. संगोष्ठी में सभी का आभार संयोजक सचिव डॉ.जसप्रीत ने किया। संगोष्ठी की सह संयोजक की भूमिका डॉ. नीलम ने निभाई।
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