अखिल भारतीय साहित्य परिषद् से सम्बद्ध राष्ट्रभाषा विचार मंच के तत्त्वावधान में एक ऑनलाइन विचार-साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमे अम्बाला व अन्य स्थलों से अनेक प्रतिभागियों ने विचार विनिमय के साथ अपनी काव्य रचनाएं प्रस्तुत कीं |
नवसम्वत् (विक्रमी २०८०), चैत्र नवरात्र तथा भगत सिंह- राजगुरु- सुखदेव के बलिदान दिवस पर आयोजित इस संगोष्ठी में उपस्थित सभी प्रतिभागियों के स्वागत के उपरान्त मंच के महामन्त्री डॉ. जय प्रकाश गुप्त ने देवी सरस्वती को समर्पित एक गीत प्रस्तुत किया और भारतीय नववर्ष तथा चैत्र नवरात्र पर अपने संक्षिप्त विचार प्रस्तुत किये | भगत सिंह आदि समस्त क्रान्तिकारियों के प्रति भी कृतज्ञतापूर्ण उद्गार ज्ञापित किये | फरीदाबाद से जुड़े शल्य चिकित्सक डॉ. राजीव पुण्डीर ने क्रान्तिकारियों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए भारत सरकार द्वारा आधिकारिक रूप से विक्रमी के स्थान पर शक सम्वत को अपनाने पर आश्चर्य व खेद प्रकट किया व विक्रमी सम्वत के सर्वकालिक महत्त्व को रेखांकित करते हुए इसे शासकीय व्यवहार और जनसामान्य में अधिक प्रयोग में लाए जाने की इच्छा प्रकट की | बलिदान दिवस पर तीनों बलिदानियों में केवल भगत सिंह पर बल दिए जाने के कारण पर भी डॉ. पुण्डीर ने आश्चर्य प्रकट किया | मंजू नान्दरा ने सभी को चैत्र नवरात्र व् नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ वीर क्रन्तिकारी बलिदानियों के शौर्य की चर्चा की व् औपचारिक शिक्षा पाठ्यक्रम में इन बलिदानियों के अपेक्षाकृत कम उल्लेख पर खेद प्रकट की, एक देशभक्ति का गीत भी सुनाया | अम्बाला शहर से जुड़ीं गौरी वंदना ने नवसंवत पर एक सार्थक रचना प्रस्तुत की व सभी को नववर्ष व नवरात्र की बधाई दी | पूजा बेदी ने देशप्रेम पर एक सुन्दर गीत प्रस्तुत किया जिसे सभी ने सराहा | प्रो. सुरेश लखनपाल ने भी एक भावपूर्ण देशभक्ति कविता प्रस्तुत की व सभी को नववर्ष की शुभकामना प्रेषित की |
प्रधान डॉ. शशि धमीजा ने नववर्ष व् नवरात्र पर बधाई देते हुए नवरात्र के महत्त्व और देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों का वर्णन करते हुए हिन्दू जीवन में शक्ति की उपासना की उपादेयता को रेखांकित करते हुए निराला कृत “राम की शक्ति पूजा” काव्य की विस्तृत चर्चा की | भारत को फिरंगी शासन से मुक्ति दिलाने के लिए क्रान्तिकारियों की एक लम्बी श्रृंखला की चर्चा करते हुए उन्हें नमन किया और इन सभी क्रांतिकारियों के प्रमुख प्रेरणा स्रोत विनायक दामोदर सावरकर के विशेष योगदान के लिए उन्हें स्मरण किया व सावरकर को इतिहास में न्यायोचित स्थान न मिल पाने के प्रति क्षोभ व्यक्त किया | देवकी गुप्ता व अन्य प्रतिभागियों ने भी कार्यक्रम में अपनी सहभागिता की | डॉ. जय प्रकाश गुप्त व् डॉ. शशि धमीजा द्वारा सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया गया व् सामूहिक वन्देमातरम गायन से कार्यक्रम का समापन हुआ |