देश में समरसता को कायम करना & गरीबी को समाप्त करने का संकल्प लेना बाबा साहेब को सच्ची श्रद्धांजलि – राज्यपाल
डॉ अंबेडकर केवल दलितों के ही नहीं, समानता और समरसता चाहने वाले देश के सभी 135 करोड़ लोगों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं- राज्यपाल
डॉक्टर अंबेडकर ने हमें एक मजबूत, स्वस्थ & अधिक समावेशी समाज बनाने का मंत्र तथा रोड मैप दिया है- श्री दत्तात्रेय
चंडीगढ़, 14 अप्रैल – भारत रत्न बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती पर आज हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने दिल्ली स्थित तेलंगाना भवन में बाबा साहेब की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर तथा उनके चित्र पर पुष्प अर्पित करके बाबा साहेब को श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस मौके पर मीडिया प्रतिनिधियों के साथ वार्तालाप करते हुए श्री दत्तात्रेय ने कहा कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को उनकी जयंती पर हमारी सच्ची श्रद्धांजलि सामाजिक समरसता को कायम करने, गरीबी को समाप्त करने का संकल्प लेने और राष्ट्रीय उत्सव व सुविधाओं को साझा करने में सभी के लिए न्याय और समानता सुनिश्चित करने से होगी। उन्होंने कहा कि बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने मुख्य रूप से तीन विषयों पर काम किया। उन्होंने सामाजिक समानता के लक्ष्य को प्राप्त करने और अस्पृश्यता तथा जातिवाद जैसी घृणित बुराइयों से समाज को मुक्त करने के लिए काम किया। इसके अलावा उन्होंने महिला उत्थान के लिए भी काम किया। डॉ अंबेडकर हमेशा सशस्त्र संघर्ष के खिलाफ थे लेकिन समाज के वंचित वर्गों के समान अधिकार को लेकर वंचित वर्गों की आपसी एकता के साथ अहिंसक संघर्षों और आंदोलनों को करने के पक्षधर थे। वे चाहते थे कि समाज के दलित और उत्पीड़ित वर्ग एकजुट रहें और ज्ञान तथा शिक्षा प्राप्त करें, आगे बढ़ें । राज्यपाल ने यह भी कहा कि डॉक्टर अंबेडकर हिंदुत्व के विरोधी नहीं थे बल्कि उन्हें हिंदू धर्म में आने वाले विकारों के खिलाफ नाराजगी थी। उनमें भारतीयता और राष्ट्रीयता कूट-कूट कर भरी थी।
श्री दत्तात्रेय ने कहा कि हमारे संविधान के निर्माता के रूप में डॉक्टर अंबेडकर ने हमें एक मजबूत, स्वस्थ और अधिक समावेशी समाज बनाने का मंत्र तथा रोड मैप दिया है। समाज के वंचित वर्गों, अल्पसंख्यकों, अन्य पिछड़े वर्गों, महिलाओं और मजदूरों के लिए उनकी प्रतिबद्धता आज भी एक सच्चे मार्गदर्शक की तरह राह दिखाती है। उन्होंने कहा कि डॉ अंबेडकर केवल दलितों के ही नहीं, अपितु समानता और समरसता चाहने वाले देश के सभी 135 करोड़ लोगों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने लोगों के दिलों में एक शाश्वत स्थान हासिल किया है और सामाजिक समरसता के क्षेत्र में उनका योगदान अतुलनीय है।
हरियाणा के राज्यपाल ने दिल्ली में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को दी श्रद्धांजलि
देश में समरसता को कायम करना & गरीबी को समाप्त करने का संकल्प लेना बाबा साहेब को सच्ची श्रद्धांजलि – राज्यपाल
डॉ अंबेडकर केवल दलितों के ही नहीं, समानता और समरसता चाहने वाले देश के सभी 135 करोड़ लोगों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं- राज्यपाल
डॉक्टर अंबेडकर ने हमें एक मजबूत, स्वस्थ & अधिक समावेशी समाज बनाने का मंत्र तथा रोड मैप दिया है- श्री दत्तात्रेय
चंडीगढ़, 14 अप्रैल – भारत रत्न बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती पर आज हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने दिल्ली स्थित तेलंगाना भवन में बाबा साहेब की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर तथा उनके चित्र पर पुष्प अर्पित करके बाबा साहेब को श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस मौके पर मीडिया प्रतिनिधियों के साथ वार्तालाप करते हुए श्री दत्तात्रेय ने कहा कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को उनकी जयंती पर हमारी सच्ची श्रद्धांजलि सामाजिक समरसता को कायम करने, गरीबी को समाप्त करने का संकल्प लेने और राष्ट्रीय उत्सव व सुविधाओं को साझा करने में सभी के लिए न्याय और समानता सुनिश्चित करने से होगी। उन्होंने कहा कि बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने मुख्य रूप से तीन विषयों पर काम किया। उन्होंने सामाजिक समानता के लक्ष्य को प्राप्त करने और अस्पृश्यता तथा जातिवाद जैसी घृणित बुराइयों से समाज को मुक्त करने के लिए काम किया। इसके अलावा उन्होंने महिला उत्थान के लिए भी काम किया। डॉ अंबेडकर हमेशा सशस्त्र संघर्ष के खिलाफ थे लेकिन समाज के वंचित वर्गों के समान अधिकार को लेकर वंचित वर्गों की आपसी एकता के साथ अहिंसक संघर्षों और आंदोलनों को करने के पक्षधर थे। वे चाहते थे कि समाज के दलित और उत्पीड़ित वर्ग एकजुट रहें और ज्ञान तथा शिक्षा प्राप्त करें, आगे बढ़ें । राज्यपाल ने यह भी कहा कि डॉक्टर अंबेडकर हिंदुत्व के विरोधी नहीं थे बल्कि उन्हें हिंदू धर्म में आने वाले विकारों के खिलाफ नाराजगी थी। उनमें भारतीयता और राष्ट्रीयता कूट-कूट कर भरी थी।
श्री दत्तात्रेय ने कहा कि हमारे संविधान के निर्माता के रूप में डॉक्टर अंबेडकर ने हमें एक मजबूत, स्वस्थ और अधिक समावेशी समाज बनाने का मंत्र तथा रोड मैप दिया है। समाज के वंचित वर्गों, अल्पसंख्यकों, अन्य पिछड़े वर्गों, महिलाओं और मजदूरों के लिए उनकी प्रतिबद्धता आज भी एक सच्चे मार्गदर्शक की तरह राह दिखाती है। उन्होंने कहा कि डॉ अंबेडकर केवल दलितों के ही नहीं, अपितु समानता और समरसता चाहने वाले देश के सभी 135 करोड़ लोगों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने लोगों के दिलों में एक शाश्वत स्थान हासिल किया है और सामाजिक समरसता के क्षेत्र में उनका योगदान अतुलनीय है।