चंडीगढ़, 13 मार्च – हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दतात्रेय ने आज राजभवन में उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. बी.के. कुठियाला, द्वारा लिखित ‘‘विकासशील समाज के लिए मीडिया एवं संचार‘‘ नामक पुस्तक का विमोचन किया। उन्होंने पुस्तक लेखन के लिए श्री कुठियाला को हार्दिक बधाई दी।
राज्यपाल ने मार्गनिर्देशन देते हुए कहा कि हमारे विकासशील समाज को विकसित समाज बनाने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका और अब पारंपरिक मीडिया से सोशल मीडिया तक परिवर्तन आ चुका है। हमे मीडिया के इस आधुनिक स्वरूप के साथ काफी सारी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है। जनसंचार के अनुसंधानकर्ताओं को जनसमूह द्वारा सोशल मीडिया के प्रयोग पर भी अनुसंधान करने चाहिए ताकि इसका समाज के लिए सकारात्मक प्रयोग किया जा सके।
राज्यपाल ने पुस्तक पर सारांश चर्चा करते हुए बताया कि मीडिया ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम और स्वतंत्रता के बाद के समाज के पुनर्निमाण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विकासशील समाज के लिए मीडिया एवं संचार नामक यह पुस्तक समाज के विकास के लिए प्रत्यक्ष सामाजिक संचार और विभिन्न माध्यमों के द्वारा किए जाने वाले संचार के सिद्धांतों और प्रचलन को प्रस्तुत करती है।
उन्होंने कहा कि पुस्तक के लेखक प्रो. कुठियाला ने विश्वविद्यालयों और व्यवसायिक अनुसंधान संगठनों में की जाने वाली रिसर्च पर भी विचार-विमर्श किया है। इसके साथ ही उन्होंने भारत और अन्य विकासशील देशों में मीडिया की सफलताओं और विफलताओं के बारे में होने वाले शोधों का बखुबी विवरण किया गया है।
विमोचन के दौरान पुस्तक के लेखक श्री कुठियाला ने बताया कि पुस्तक में ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल पर भी काफी विवेचना की गई है और निष्कर्ष निकाला है कि एग्जिट पोल के पूर्वानुमान की विफलता रिसर्च का दोष नहीं है बल्कि साक्षात्कार में अपनी सुविधानुसार सैम्पलिंग मैथड और जान बूझकर गलत प्रश्नों के प्रयोग की पद्धति को अपनाने के कारण ही गलत अनुमान आते हैं। लेखक ने लोगों को सूचित करने और शिक्षित करने के लिए प्राचीन भारत में प्रचलित जनसंचार प्रणाली पर भी काफी पाठ्य सामग्री प्रस्तुत की है।
पुस्तक का एक अध्याय दिल्ली में आयोजित राम मंदिर और मंडल आयोग रैली के प्रभाव कारक को प्रस्तुत करते हुए सार्वजनिक रैलियों के उपरांत होने वाले प्रभाव के बारे में बताता है। राज्यपाल ने कहा कि पुस्तक जनसंचार के क्षेत्र में छात्रों, शिक्षकों, चिकित्सकों और शोधकर्ताओं के लिए और सामाजिक और उदार अध्ययन में भी प्रासंगिक है। इसके साथ ही उन्होंने लेखिका श्रीमती चंद्रकांता अग्निहोत्री की पुस्तक ‘‘हंसतो मोती चुगे‘‘ का भी विमोचन किया।
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