हरियाणा में 3 नगर निगमों के चुनावों को अदालत में दी जा सकती है चुनौती
संशोधन कानून में “म्युनिसिपल कमेटी” की बजाए “म्युनिसिपेलिटी” शब्द के प्रयोग से हुई गड़बड़ – हेमंत
चंडीगढ़ – हरियाणा निर्वाचन आयोग द्वारा बीती 3 दिसंबर को प्रदेश की तीन नगर निगमों – अम्बाला, पंचकूला, सोनीपत एवं कुछ नगर निकायों के आम चुनाव एवं उपचुनाव करवाने की घोषणा की गयी है. इस शुक्रवार 11 दिसम्बर से चुनावो के लिए नामांकन प्रक्रिया प्रारंभ होगी जबकि 27 दिसम्बर को मतदान एवं 30 दिसंबर को मतगणना होगी.
इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने प्रदेश के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, शहरी स्थानीय निकाय मंत्री, विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव और निदेशक एवं राज्य निर्वाचन आयोग को एक बार पुन: लिखा है कि उपरोक्त तीनों नगर निगमों चुनावो की नामांकन प्रक्रिया से पूर्व इनका नगर निगम के तौर पर कानूनी अस्तित्व बहाल करना अत्यंत आवश्यक है जो कि हरियाणा म्युनिसिपल एक्ट, 1973 कि धारा 2 ए में तत्काल संशोधन कर किया जा सकता है.
उन्होंने बताया कि हरियाणा नगरपालिका (संशोधन) अधिनियम, 2020 , जो इस वर्ष 26 अगस्त को विधानसभा सत्र में पारित किया गया एवं 19 सितम्बर 2020 से लागू हुआ, द्वारा हरियाणा म्युनिसिपल (नगरपालिका) कानून, 1973 की धारा 2 ए में किये गए संशोधन के फलस्वरूप एक गड़बड़ी/विसंगति उत्पन्न हो गयी है जिसके कारण हरियाणा के 10 जिला मुख्यालयों पर बीते कई वर्षो से स्थापित नगर निगमों का कानूनी अस्तित्व ही समाप्त हो गया है क्योंकि उपरोक्त संशोधित धारा अनुसार हर जिला मुख्यालय पर विद्धमान /स्थापित म्युनिसिपेलिटी नगर परिषद होगी बेशक वहां की जनसँख्या कितनी हो.
हेमंत ने बताया कि न केवल भारत के संविधान के अनुच्छेद 243 (क्यू) में बल्कि हरियाणा नगरपालिका कानून, 1973 और हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 दोनों कानूनों के परिभाषा खंड में म्युनिसिपेलिटी शब्द का कानूनी अर्थ है- नगर पालिका, नगर परिषद या नगर निगम. इस कारण हरियाणा के हर जिला मुख्यालय की म्युनिसिपेलिटी वर्तमान में कानूनन नगर परिषद हो गयी है.
हालांकि उक्त हरियाणा नगरपालिका (संशोधन) अधिनियम, 2020 का प्रदेश सरकार की राजभाषा हिंदी में अनुवाद कर बीती 26 नवंबर को सरकारी गजट में अधिसूचित किया गया है, जिसमें म्युनिसिपेलिटी शब्द को हिंदी में नगरपालिका ही दर्शाया गया है परन्तु चूँकि हरियाणा राजभाषा अधिनियम, 1969 के अनुसार प्रदेश में हर एक्ट (अधिनियम ) को अंग्रेजी भाषा में ही आधिकारिक माना जाता है, अत: उक्त कानून के हिंदी अनुवाद में सही नगर पालिका शब्द का प्रयोग होने के बावजूद उपरोक्त कानूनी गड़बड़ी तब तक जारी रहेगी जब तक कि सम्बंधित धारा 2 ए में फिर से कानूनी संशोधन कर “म्युनिसिपेलिटी” की बजाये “म्युनिसिपल कमेटी” शब्द नहीं डाला जाता. ज्ञात रहे कि बीते माह 6 नवंबर को विधानसभा द्वारा पारित हरियाणा नगरपालिका (दूसरे संशोधन) कानून, 2020 द्वारा भी उक्त गड़बड़ी को सुधारा नहीं गया है.
लिखने योग्य है कि उक्त 1973 कानून की धारा 2 ए में हरियाणा की सभी मुनिसिपलिटीस का वर्गीकरण है जिसके अनुसार 50 हज़ार तक की जनसँख्या वाले छोटे शहरों में नगरपालिका, 50 हज़ार से अधिक एवं तीन लाख से कम आबादी वाले माध्यम शहरो में नगर परिषद जबकि तीन लाख से ऊपर की जनसँख्या वाले बड़े शहरों /महानगरों में नगर निगम होगी. हेमंत ने बताया कि प्रदेश में नगर निकायो का जनसँख्या अनुसार वर्गीकरण (नगर निगम सहित ) हरियाणा नगरपालिका कानून,1973 की धारा 2 ए में ही है. वर्ष 2002 में भी जब तत्कालीन चौटाला सरकार ने नगर निगम स्थापित करने के लिए जनसँख्या की आवश्यक सीमा को 5 लाख से घटाकर न्यूनतम 3 लाख किया, तब 1973 कानून की उक्त धारा में ही संशोधन किया गया था.
ज्ञात रहे कि वर्तमान में प्रदेश के 10 जिला मुख्यालयों- अम्बाला, पंचकूला, यमुनानगर, करनाल, पानीपत, हिसार, रोहतक, सोनीपत, फरीदाबाद और गुरुग्राम में नगर निगम जबकि 11 जिला मुख्यालयों – कैथल, थानेसर (कुरुक्षेत्र), सिरसा, जींद, फतेहाबाद, भिवानी, चरखी दादरी, पलवल, रेवाड़ी, नारनौल और झज्जर में नगर परिषद है. केवल नूहं जिला मुख्यालय में ही नगरपालिका है. यहाँ की जनसँख्या 50 हज़ार से कम होने के कारण कानूनी रूप से नूहं नगर पालिका को नगर परिषद नहीं घोषित किया जा सकता इसलिए यहाँ नगर परिषद बनाने के लिए 1973 कानून की धारा 2 ए में उपयुक्त संशोधन कर यह उल्लेख किया गया कि “परन्तु किसी जिला मुख्यालय पर विद्धमान /स्थापित म्युनिसिपेलिटी ( नगर निकाय) इसकी जनसँख्या पर विचार किये बिना नगर परिषद होगी”.
हेमंत ने बताया कि अगर कानूनन निर्धारित की गयी जनसँख्या की सीमा से कम आबादी होने के बावजूद भी नूहं जिला मुख्यालय में नगर परिषद स्थापित करनी है, तो उक्त धारा 2 ए में किये गए संशोधन के स्थान पर ऐसा उल्लेख करना चाहिए कि “परन्तु किसी जिला मुख्यालय पर विद्धमान /स्थापित म्युनिसिपल कमेटी (नगरपालिका समिति ) इसकी जनसँख्या पर विचार किये बिना नगर परिषद होगी” अर्थात म्युनिसिपेलिटी की बजाये म्युनिसिपल कमेटी शब्द प्रयुक्त किया जाना चाहिए था.
हर जिला मुख्यालय में विद्धमान/स्थापित नगर निकाय के लिए नगर परिषद होने का उल्लेख न केवल निश्चित रूप से भ्रम उत्पन्न करता है बल्कि प्रदेश की वर्तमान दस जिला मुख्यालयों पर स्थापित नगर निगमों के कानूनी अस्तित्व भी समाप्त कर देता है. उन्होंने बताया कि हरियाणा नगरपालिका (संशोधन) अधिनियम,2020 लागू होने के बाद कानूनन 3 लाख से ऊपर जनसँख्या वाले बड़े शहरों में तो नगर निगम स्थापित हो सकती है परन्तु हर जिला मुख्यालय पर कानूनन नगर परिषद ही होगी बेशक वहां जनसँख्या 3 लाख से ऊपर हो. यह निश्चित तौर पर बेहद ही विचित्र स्थिति है.
हेमंत ने सबसे पहले 21 सितम्बर को उक्त विषय पर हरियाणा निर्वाचन आयोग को प्रतिवेदन भेजा जिस पर आयोग ने संज्ञान लेकर 29 सितम्बर को शहरी निकाय विभाग के निदेशक को आवश्यक कार्यवाही करने हेतू पत्र लिखा. इसके बाद 7 नवंबर को दोबारा आयोग को याचिका भेजी जिसे 13 नवंबर को फिर विभाग को कार्यवाही हेतू भेज दिया गया परन्तु आज तक इस सम्बन्ध में कुछ नहीं किया गया है. इसके बाद ही वह लगातार आयोग और राज्य सरकार को निरंतर लिखते रहे हैं कि प्रदेश के राज्यपाल से तत्काल अध्यादेश जारी करवाकर हरियाणा नगरपालिका कानून, 1973 की धारा 2 ए में उपयुक्त संशोधन कर दिया जाए.