हुड्डा और शैलजा के राजनीतिक सफर के 30 -30 वर्ष हुए पूरे – हेमंत
1991 लोकसभा चुनावों में दोनों को मिली थी पहली चुनावी जीत
चंडीगढ़ – दो वर्षो बाद एक बार फिर हरियाणा कांग्रेस में अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे और मौजूदा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा एवं उनके समर्थको के तेवर तल्ख़ हो गए हैं. उन्होंने पार्टी हाईकमान से प्रदेश कांग्रेस के वर्तमान नेतृत्व को बदलने की मांग रखी है.
सितम्बर, 2019 में हुड्डा के ऐसे ही तीखे तेवरों के फलस्वरूप हाईकमान ने उन्हें अक्टूबर, 2019 हरियाणा विधानसभा आम चुनावो के लिए चुनाव प्रबंधन कमेटी का चेयरमैन बनाया था जबकि शैलजा को अशोक तंवर के स्थान पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया था. बहरहाल, अब हरियाणा कांग्रेस में मचे ताज़ा घमासान पर पार्टी क्या निर्णय लेती है, वह तो आने वाला समय ही बताएगा.
बहरहाल, इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने हुड्डा और शैलजा के आज तक के राजनीतिक सफर/जीवन से सम्बंधित आंकड़ों का गहन अध्ययन कर बताया कि जहाँ तक आयु का विषय है, तो दोनों का जन्म सितम्बर माह में ही हुआ हालांकि हुड्डा उम्र से शैलजा से पूरे 15 वर्ष बड़े हैं.
हेमंत ने बताया कि शैलजा के पिता चौधरी दलबीर सिंह, जो सिरसा लोक सभा सीट से चार बार सांसद निर्वाचित हुए, के 1987 में निधन के बाद जब सिरसा सीट पर उपचुनाव हुआ तो वह शैलजा का पहला चुनाव था जिसमें वह देवी लाल की लोकदल (बी ) के हेत राम से चुनाव हर गयी थीं. इसके बाद शैलजा ने 1989 में सिरसा से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा.
दूसरी और हुड्डा ने वर्ष 1982 हरियाणा विधानसभा आम चुनावो में उनका पहला चुनाव रोहतक में किलोई विधानसभा सीट से लड़ा परन्तु उन्हें देवी लाल की लोकदल पार्टी के हरी चंद ने पराजित कर दिया था. उसके पांच वर्षों बाद 1987 विधानसभा आम चुनावो में हुड्डा को उसी सीट से एक पुन: हार का मुँह देखना पड़ा और तब उन्हें लोकदल के श्री कृष्ण हुड्डा (जिनका पिछले वर्ष 2020 में निधन हुआ ) ने हराया था.
हालांकि वर्ष 1991 लोक सभा चुनावों में हुड्डा ने देवी लाल को रोहतक लोक सभा सीट से और शैलजा ने हेत राम को सिरसा सीट से पराजित किया. इस प्रकार हुड्डा और शैलजा दोनों को अपने राजनीतिक जीवन की पहली जीत 1991 लोक सभा चुनावो में ही प्राप्त हुई थी. इसके बाद केंद्र की तत्कालीन पीवी नरसिम्हा राव सरकार में वर्ष 1992 -95 में शैलजा पहले केंद्रीय उप-मंत्री और बाद में 1995 -96 में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय में राज्य मंत्री रही थी.
1996 लोकसभा आम चुनावो में जब कांग्रेस को देश भर में हार का सामना करना पड़ा तो हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों में केवल हुड्डा और शैलजा ही जीते. हुड्डा ने दूसरी बार रोहतक से देवी लाल को जबकि शैलजा ने समता पार्टी के सुशील इंदोरा को हराया.
इसके बाद 1998 में लोक सभा के मध्यमाधि चुनावो में हुड्डा ने तो देवी लाल को तीसरी बार रोहतक से हराकर हैट्रिक बनायीं परन्तु उन चुनावो में सिरसा से सुशील इंदोरा ने शैलजा को पराजित कर दिया. इसके बाद 1999 लोक सभा आम चुनावो में शैलजा ने चुनाव नहीं लड़ा जबकि हुड्डा को रोहतक से कैप्टन इंद्र सिंह ने हराया.
फिर 2004 लोकसभा चुनावों में शैलजा ने अपना चुनावी क्षेत्र बदल लिया और अम्बाला लोकसभा सीट से चुनाव लड़ भाजपा के रतन लाल कटारिया को पराजित किया. वहीं रोहतक लोक सभा से हुड्डा ने भाजपा के कैप्टन अभिमन्यु को हराया.
इसके बाद मनमोहन सिंह की पहली यू.पी.ए.-1 सरकार में शैलजा को वर्ष 2004 -2009 तक केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया. वहीं दूसरी ओर 2005 हरियाणा विधानसभा आम चुनावो के बाद हुड्डा मार्च, 2005 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बने जिस पद पर वह अक्टूबर, 2014 तक रहें.
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इसी दौरान 2009 लोकसभा चुनावों से शैलजा ने अम्बाला सीट से भाजपा के कटारिया को दोबारा हराकर चुनाव
जीता जिसके बाद उन्हें यू.पी.ए. -2 सरकार में कैबिनेट रैंक का मंत्री बना दिया गया था. इस प्रकार शैलजा केंद्रीय मंत्री की हर श्रेणी – उप मंत्री, राज्य मंत्री, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं कैबिनेट मंत्री के तौर पर रह चुकी हैं.
हेमंत ने बताया कि शैलजा ने अप्रैल, 2014 में अम्बाला से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा क्योंकि चुनावों से पूर्व ही वह हरियाणा से राज्यसभा हेतु 6 वर्षो के लिए निर्वाचित हो गयी थीं. इसके बाद राज्यसभा सांसद रहते शैलजा ने मई, 2019 में अम्बाला लोकसभा सीट से हालांकि चुनाव लड़ा परन्तु वह भाजपा के कटारिया से हार गयीं. उस चुनावों में हुड्डा ने भी सोनीपत सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा जहाँ से वह भाजपा के रमेश कौशिक से हार गए. इस प्रकार हुड्डा और शैलजा दोनों ने आज तीन लोक सभा चुनावो – 1991 , 1996 और 2004 में एक साथ विजयश्री हासिल की जबकि 2019 लोकसभा चुनावो में दोनों एक साथ पराजित हुए.