सीनियर डिप्टी और डिप्टी मेयर चुनावों हेतू नियमो में अलग व्यवस्था
चंडीगढ़ – हाल ही में प्रदेश की तीन नगर निगमों – अम्बाला, पंचकूला और सोनीपत और कुछ अन्य नगर निकायों के चुनाव संपन्न हुए जिसके बाद पंचकूला नगर निगम की पहली बैठक बीते दिनों बुलाई गयी जिसमे निर्वाचित मेयर और नगर निगम सदस्यों (पार्षदों ) को शपथ दिलवाई गयी. इसी प्रकार अगले कुछ दिनों में सोनीपत और अम्बाला नगर निगम की भी पहली बैठक बुलाई जानी है. हालांकि सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का निर्वाचन पहली बैठक में नहीं करवाया जाता है.
इससे पूर्व दिसंबर, 2018 में पांच नगर निगमों – करनाल, पानीपत, यमुनानगर, हिसार और रोहतक के आम चुनाव हुए जबकि दो वर्षों बाद नवंबर, 2020 से इन पांचो के सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव करवाए जाने की कवायद आरंभ हुई. पानीपत नगर निगम में यह प्रक्रिया अभी लंबित है. हालांकि 2017 में फरीदाबाद और गुरुग्राम नगर निगमों के आम चुनावों के एक माह बाद ही मेयर के साथ ही सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का निर्वाचन भी करवाया गया था.
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि यह अत्यंत आश्चर्यजनक है कि हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 में सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव करवाने की समय सीमा का प्रावधान ही नहीं है हालांकि हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमावली,1994 के नियम 71 में उल्लेख है कि नगर निगम के आम चुनावों में निर्वाचित मेयर और सदस्यों के नामो के आधिकारिक प्रकाशन के 60 दिनों के भीतर उक्त दोनों पदों का चुनाव करवाया जाएगा. उक्त 1994 कानून में इस सम्बन्ध में निर्धारित समय सीमा का उल्लेख न होने के फलस्वरूप ही इनके चुनावो में विलम्ब होता रहा है.
हेमंत ने बताया कि हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा 56 (3 ) में मेयर या नगर निगम सदन की बैठक की अध्यक्षता करने वाले व्यक्ति को मतों के बराबर होने की परिस्थिति में दूसरा और कास्टिंग (निर्णायक) वोट देने का उल्लेख है. हालांकि कास्टिंग वोट देने वाले सदन के पदाधिकारी को सामान्यत: मूल रूप से वोटिंग देने का अधिकार नहीं होता बल्कि वह तभी वोट कर सकता है जब सदन में मतदान दौरान दो पक्षों (सत्तापक्ष और विपक्ष ) के वोट बराबर हो जाएँ और इस गतिरोध को तोड़ने के लिए किसी भी पक्ष में एक अतिरिक्त वोट डालने की आवश्यकता हो. उन्होंने बताया कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 100 में भी उल्लेख है कि लोक सभा और राज्य सभा का स्पीकर /सभापति या सदन की अध्यक्षता करने वाला व्यक्ति पहले वोट नहीं देगा परन्तु वोट बराबर होने पर वह कास्टिंग वोट सकेगा.
उन्होंने आगे बताया कि दो वर्ष पूर्व प्रदेश की विधानसभा द्वारा हरियाणा नगर निगम (संशोधन ) विधेयक, 2019 पारित किया गया जिसके द्वारा 1994 नगर निगम कानून की धारा 2 (24 ) में नगर निगम सदस्य की परिभाषा में मेयर को भी शामिल किया गया. ऐसा इसलिए किया गया ताकि मेयर भी निर्वाचित सदस्य के तौर पर सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में वोट डाल सके. इस प्रकार वर्तमान परिस्थितयों में मेयर को हरियाणा के नगर निगमों के सदन में दो वोट देने का अधिकार है – एक निर्वाचित सदस्य के तौर पर और दूसरा मेयर के तौर पर कास्टिंग वोट देने का.
हालांकि अगर सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनावो दौरान अगर सर्वसहमति से चुनाव नहीं हो पाता और गुप्त बैलट से मतदान करवाया जाता है एवं दो उम्मीदवार के वोट बराबर होते हैं तो हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमावली,1994 के नियम 73 में उल्लेख है कि ऐसी परिस्थिति में दोनों उम्मीदवारों की परिस्थिति में लोट (लाटरी सिस्टम) से ड्रा निकालकर भाग्यशाली विजयी उम्मीदवार का निर्णय किया जाएगा.
अम्बाला नगर निगम के सम्बन्ध में हेमंत ने बताया कि हरियाणा जनचेतना पार्टी (हजपा ) (वी ) की उम्मीदवार और विनोद शर्मा की धर्मपत्नी शक्तिरानी शर्मा यहाँ मेयर निर्वाचित हुई हैं हालांकि कुल 20 वार्डों में से हजपा के 7 प्रत्याशी ही चुने गए हैं. वहीँ भाजपा के 8 , कांग्रेस के 3 और निर्मल सिंह की हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट (एचडीएफ ) ने 2 पार्षद निर्वाचित हुए है हालांकि इन दोनों को राज्य निर्वाचन आयोग ने अपनी नोटिफिकेशन में निर्दलयी ही दर्शाया. अब सीनियर डिप्टी और डिप्टी मेयर के चुनाव के लिए अगर मतदान करवाया जाता है, तो मेयर शक्तिरानी निगम के एक सदस्य के तौर पर वोट करेंगी जिस कारण हजपा प्रत्याशी के 8 वोट होंगे एवं उसे कम से कम तीन और निगम सदस्यों (पार्षदों) के वोट की आवश्यकता होगी जो विपक्षी सदस्यों द्वारा क्रॉस-वोटिंग या उनके स्पष्ट पाला बदलने से ही संभव होगा.