निर्वाचन आयोग में दायर आरटीआई अपील की सुनवाई में एडवोकेट हेमंत हुए पेश
अम्बाला शहर – आज से ठीक तीन माह पूर्व 30 दिसंबर 2020 को अम्बाला नगर निगम के आम चुनावो हेतु करवाए गए मतदान की मतगणना हुई एवं उसी दिन मेयर पद एवं सभी 20 वार्डों से निर्वाचित नगर निगम सदस्यों (पार्षदों) के नतीजे घोषित कर दिए गए. इन चुनावों के लिए 100 से अधिक उम्मीदवारों द्वारा चुनाव लड़ा गया था जिनके द्वारा आयोग द्वारा निर्धारित धनराशि ही अधिकतम अपने चुनावी-व्यय के तौर पर खर्च की जा सकती थी जो मेयर पद के उम्मीदवार के लिए अधिकतम 22 लाख रुपये जबकि नगर निगम सदस्य के प्रत्याशी के लिए अधिकतम 5 लाख 50 हज़ार रुपये है. इस खर्चे का हर उम्मीदवार को बकायदा पूरा हिसाब-किताब रख कर निर्धारित अवधि में लेखा-जोखा ज़िले के उपायुक्त (डीसी ) को या आयोग द्वारा प्राधिकृत किसी अन्य अधिकारी को सौंपना था जिसके बाद डीसी या प्राधिकृत अधिकारी को उक्त चुनावी खर्चे रिकॉर्ड की जांच कर आयोग को निर्धारित समय में सम्पूर्ण जानकारी भेजनी थी. हालांकि हालिया दायर एक आरटीआई के जवाब से यह खुलासा हुआ है कि आयोग के पास डीसी अम्बाला या अन्य प्राधिकृत अधिकारी द्वारा भेजी उक्त जानकारी उपलब्ध ही नहीं है.
गत माह 12 फरवरी को शहर निवासी पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने पंचकूला स्थित हरियाणा निर्वाचन आयोग में एक आरटीआई दायर कर अम्बाला नगर निगम आम चुनावो में मेयर पद एवं सभी 20 वार्डो के नगर निगम सदस्यों के लिए चुनाव लड़े सभी उम्मीदवारों (विजयी होकर निर्वाचित हुए सहित ) द्वारा निर्धारित समय सीमा अर्थात चुनावी परिणाम (नतीजे ) घोषित होने के 30 दिनों के भीतर अर्थात 30 जनवरी 2021 तक अपने द्वारा किये कुल चुनावी खर्चे का निर्धारित प्रोफोर्मा /प्रारूप में सम्पूर्ण ब्यौरा जो डीसी या प्राधिकृत अधिकारी को देना था एवं जिसकी रिपोर्ट डीसी या प्राधिकृत अधिकारी द्वारा निर्वाचन आयोग को भेजी जानी थी, उस सम्बन्ध में जानकारी मांगी थी. अर्थात यह सूचना मांगी गयी की कितने उम्मीदवारों द्वारा चुनावी खर्चे का हिसाब-किताब नहीं दिया गया एवं कितने उम्मीदारो द्वारा तय/निर्धारित सीमा से ऊपर/अधिक चुनावी खर्च किया गया. इसके जवाब में आयोग के राज्य जन सूचना अधिकारी (एसपीआईओ ) ने बीते माह 19 फरवरी को डीसी अम्बाला कार्यालय के एसपीआईओ को उक्त आरटीआई याचिका स्थानांतरित कर याचिकाकर्ता को मांगी गयी सूचना देने के लिए लिखा क्योंकि यह उनके (डीसी ) कार्यालय से सम्बंधित है.
इसके विरूद्ध हेमंत ने बीते माह 26 फरवरी को राज्य निर्वाचन आयोग के पंचकूला स्थित कार्यालय में प्रथम अपील दायर की जिस पर कार्यवाही करते हुए उन्हें सहायक राज्य निर्वाचन आयुक्त, परमाल सिंह के समक्ष इस सम्बन्ध में सुनवाई में पेश होने के लिए लिखा गया. बीते सप्ताह 24 मार्च को हेमंत ने उनके सम्मुख पेश होकर अपना पक्ष रखा जिसे दौरान उन्हें यह पता पता कि आयोग के पास नगर निगम अम्बाला में चुनावी उम्मीदवारों के खर्चे सम्बन्धी ब्यौरा उपलब्ध नहीं है. हालांकि उक्त अपीलमें पारित आदेशों की प्रतीक्षा की जा रही है.
इसी बीच आयोग द्वारा डीसी अम्बाला को स्थानांतरित आरटीआई को बीती 5 मार्च को डीसी अम्बाला कार्यालय में तैनात सिटी मजिस्ट्रेट, आँचल भास्कर, एचसीएस जो इस कार्यालय की आरटीआई कानून में एसपीआईओ भी हैं ने उक्त आरटीआई को शहर के एसडीएम अम्बाला शहर, नगर निगम अम्बाला के आयुक्त एवं डीसी कार्यालय के एल.एफ.ए. के सहायक को ट्रांसफर कर उन्हें यह सूचना उपलब्ध करवाने को लिखा. ज्ञात रहे कि शहर के एसडीएम सचिन गुप्ता, आईएएस ही अम्बाला नगर निगम के आम चुनावों में रिटर्निंग अफसर (आर.ओ.) भी थे.
बहरहाल, एसडीएम अम्बाला ने बीती 15 मार्च को उक्त आरटीआई ज़िले के उप-आबकारी एवं कराधान (बिक्री) अर्थात डीईटीसी (सेल्स ) को स्थानांतरित कर उन्हें इसका जवाब देने बारे पत्र भेजा है. अब क्या इस अधिकारी द्वारा उपरोक्त सूचना भेजी जायेगी या इस आरटीआई को और आगे ट्रांफर या वापिस एसडीएम को भेजी जायेगी, इसकी प्रतीक्षा की जा रही है.
हेमंत ने आगे बताया कि हरियाणा निर्वाचन आयोग द्वारा नवंबर, 2018 में जारी कर लागू किये गए हरियाणा नगर निगम चुनावी व्यय (अकाउंट की मेंटेनेंस और सबमिशन) आदेश, 2018 के तहत नगर निगम चुनावों में मेयर और नगर निगम सदस्य का चुनाव लड़ रहे हर उम्मीदवार को नामांकन दायर करने से लेकर चुनावी नतीजे तक अर्थात नामांकन की फीस और जमा करवाई जमानत राशि से लेकर उनके चुनावी प्रचार प्रसार की हर विषय वस्तु पर किया गया कुल खर्च का ब्यौरा भरकर, जिसके साथ एक निर्धारित सत्यापित एफीडेविट (हलफनामा) भी संलग्न करना होता है, चुनावी नतीजों की घोषणा के 30 दिनों के भीतर, जिला निर्वाचन अधिकारी अर्थात डीसी या आयोग द्वारा प्राधिकृत अन्य अधिकारी को देना होता है जो उसकी जांच कर 7 दिनों में निर्वाचन आयोग को भेजेगा.
हेमंत ने आगे बताया कि न केवल नगर निगम चुनाव लड़ने वाले सभी उमीदवारो बल्कि विजयी होकर निर्वाचित हुए मेयर एवं सभी 20 नगर निगम सदस्य भी अगर अपने चुनावी खर्चे का पूरा ब्यौरा नहीं देते हैं अथवा यह साबित होता है कि उन्होंने निर्धारित धन-राशि से ऊपर अपना चुनावी खर्चा किया है, तो ऐसे सभी उम्मीदवारों को आयोग एक नोटिस जारी देकर उनका पक्ष सुनकर न केवल उन्हें ऐसे आदेश की तिथि से अधिकतम 5 वर्षों के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर सकता है बल्कि उन्हें दोषी पाए जाने पर उन्हें निर्वाचित पद से हटाने के लिए भी कानूनन सक्षम है. पहले उक्त आधार पर अयोग्यता की समय सीमा अधिकतम 3 वर्ष होती थी जिसे अप्रैल, 2017 में हरियाणा विधानसभा द्वारा नगर निगम कानून में संशोधन कर 5 वर्ष कर दिया गया. इसी बीच यह भी व्यवस्था है कि कोई भी व्यक्ति 5 रुपये की फीस देकर डीसी या अन्य प्राधिकृत अधिकारी के कार्यालय से किसी उम्मीदवार द्वारा दिए गए चुनावी खर्च के ब्यौरे की जांच कर सकता है और निर्धारित शुल्क देकर उनकी सत्यापित कापियाँ भी प्राप्त कर सकता है.