अम्बाला छावनी : हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट की नेत्री चित्रा सरवारा ने कहा है कि आढ़तियों की मांगे मानकर पुराने सिस्टम को सरकार जारी रखे। वे आज अम्बाला छावनी के निकट मोहड़ा अनाज मंडी मे आढ़तियों व किसानों के बीच पहुंची थी। उन्होंने कहा कि अनाज मंडी में गेहूं की फसल आई हुई है। लेकिन कल से आढ़ती अपनी जायज मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। ऐसे में प्रदेश सरकार इस समस्या का तत्काल समाधान करे ताकि किसानों मजदूरों और आढ़तियों के बीच का पुराना तालमेल बना रहे। उन्होंने कहा कि जब से केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार आई है। तब से इन्होंने कृषि के क्षेत्र में नाजायज दखल अंदाजी शुरू की हुई है। पहले भूमि अधिग्रहण बिल से छेड़छाड़ की गई। फिर तीन काले कृषि कानून लाकर आढ़तियों, किसानों और मजदूरों की सोशल चेन को तोड़ने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि भाजपा की दिवंगत नेत्री पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी आढ़तियों को किसानों का एटीएम मानती थी क्योंकि फसलों का समय पर भुगतान करने के साथ साथ आढ़ती जरूरत के समय किसानों को बच्चों की पढ़ाई, खेतीबाड़ी के खर्चे यहां तक की बेटे-बेटी की शादी में आर्थिक मदद करते रहें है। दोनों के बीच पारिवारिक रिश्ते भी कायम हैं। ऐसे में सरकार को चाहिए कि मेरी फसल मेरा ब्यौरा के तहत यदि किसान चाहता है कि उसकी रकम का भुगतान आढ़ती के माध्यम से हो तो सरकार को किसान के खाते में भुगतान डायरेक्ट नहीं डालना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में 95 फीसदी किसान अपनी फसलों का भुगतान आढ़ती के माध्यम से ही करवाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सिस्टम लोगों के लिए होना चाहिए न कि लोग सिस्टम के लिए हों। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों, आढ़तियों और मजदूरों के हित में नियमों में बदलाव करे। ताकि मंडियाें का सिस्टम सुचारू रूप से चलता रहे। सरकार तत्काल हड़ताली आढ़तियों की बात को सुने, समझे और हल निकाले। उन्होंने कहा कि किसान वैसे ही बीते 4 महीनों से तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे है। ऐसे में मंडियों के आढ़तियों की हड़ताल किसानों के लिए नई परेशानी पैदा कर सकती है। मंडियों में पड़ी गेहूं की खुली फसल आंधी, तूफान और बारिश के साथ साथ आगजनी की भी चपेट में आ सकती है।